कर्ण पिशाचनी ( हॉरर स्टोरीज ) part -1
पिशाच या पिशाचनी वह लोग होते है जो जीवीत रहते हुए अपने जीवन में काफी गलत कार्य करते है,,, और पिशाचनिया वह औरते होती है जो जीवन भर किसी के बस में नही रहते वही मृत्यु के बाद किसी के बस में नही आने वाली पिशाचनिया बन जाती है……
यदि इन पिशाच या पिशाचनिय को साधना के द्वारा वश में कर लिया जाए तो अत्यधिक फायदा भी हो सकता है परन्तु यदि यह वश में नही आ पाए तो आपकी मौत का कारण भी बन जाते है ।
इनको साधने के लिये हद तक जूनून या पागलपन में जाकर ही साधना करनी पडती है । तभी यह आपके वश में आ सकती है ।
यह स्त्री या पुरूष के देह में प्रवेश करके उनसे अपना मनचाहा कार्य करवा लेती है ।
इनके प्रभाव से शरीर कमजोर और शक्तिहीन हो जाता है,, मानसिक बिमारियां हो जाती है और यह पिशाचनियां व्यक्ति के मरने के बाद उसे अपने साथ ले जाती है ।
यह सदैव पेडो के ऊपर ही रहती है इसलिये किसी पेड के नीचे मल / मूत्र का त्याग नही करना चाहिये……
यह पिशाचनिया इंसानी रक्त और मांस का भोजन करती है ।
पिशाचनियो को सिद्ध करने में सिर्फ एक महिने का वक्त लगता है ।
यह डायन / चुडैलो / भूत - प्रेतो सभी से अलग होती है । आज मैं जिस पिशाचनी का बात करने जा रहा हूं वो है कर्ण पिशाचनी ।
एक कर्ण पिशाचिनी आज भी श्मशान में वास करती है और उसकी शक्तियां असीम होती है जब तक कि कोई व्यक्ति उसको नहीं पुकारता उसकी शक्तियां सोई रहती है।
इसकी शक्तियां अगर वश में ना हो पाए तो विनाशकारी है । अगर वश में हो जाए तो कल्याणकारी भी है।
अघोरियों ने इन्हें सिद्ध करके बहुत ही अच्छे अच्छे कार्य भी किए हैं।
परन्तु इन्हें वही सिद्ध कर सकता है जो कि मोह - माया से मुक्त हो,,,, यदि कोई मोह माया में आकर इन्हें सिद्ध करता है तो उन्हें इनके लालच में नही आना चाहिये,, अगर इनके लालच में आ जाए तो यह आपका विनाश ही करती है।
इसको सिद्ध करके भविष्यकाल,,, वर्तमान व भूतकाल की घटनाओ का पता लगाया जा सकता है ।
यह एक वासना से पूरित पिशाचनी होती है । इसको सिद्ध करने से पश्चयात आपको इसे शारिरीक सुख प्रदान करना होगा,,, परन्तु यह लालची,,, कामवासना से पूरित होती है इसे 11 दिन में सिद्ध किया जा सकता है,,, साधना पूरित होने के पश्चयात यह आपके सामने नग्न अवस्था में प्रकट होती है ।
यह व्यक्ति कान में आपके सवालो के जवाब देती है और हमेशा आपके आस- पास ही रहने लगती है ।
इसको सिद्ध करने को पश्चयात आपको कभी धन - दौलत की कमी नही होती है ।
जो इंसान इससे स्वार्थ के लिये मदद लेता है उसे मृत्यु के पश्चयात इसकी गुलामी करनी होती है ।
कहानी शुरू होती है......
सुनसान सडक पर प्रशांत रात के समय अकेला ही चल रहा था,,,,, सड़क बिल्कुल ही सुनसान थी जैसे कि गांव का कोई खाली बंजर इलाका हो,,,, दूर-दूर तक ना कोई रोशनी और ना ही कोई इंसान / वाहन कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था ।
यहां तक कि उस रोड पर कोई जानवर का दिखाई देना भी मुश्किल ही लग रहा होता है,,, प्रशांत के कदम लड़खड़ा रहे थे और देख कर ही पता चल रहा था कि शायद वह शराब के नशे में पूरी तरह धुत है ।
वह एक नंबर का शराबी और बुरी आदतों से पूरित इंसान था । उसके परिवार ने उससे सारे संबंध तोड़ दिए थे क्योंकि उसने अपनी ही बेटी को बेचने की कोशिश की थी वह भी सिर्फ अपनी अय्याशी के लिए ।
उसका सब कुछ लुट गया था,,, लाखों रुपया का कर्जा उसके सिर पर था पर उसकी बुरी आदतें उसे छोड़ ही नहीं रही थी,,, या यह कहें कि वही अपनी इन आदतों को नहीं छोड़ना चाहता था ।
उसकी रातें किसी रेड लाइट एरिया ( वैश्यालय ) पर ही गुजरती थी और उसका दिन किसी ठेके पर ।
जिन लोगों से उसने कर्जा लिया था वह उसे हर दिन मारते - पीटते और उसे जल्दी से जल्दी उनका पैसा वापस करने को भी कहते पर वो एक नम्बर का एय्याश जिसे अपनी एय्याशियो से ही फुर्सत नही थी ।
वह सड़क पर चल ही रहा था कि तभी उसके मोबाइल की घंटी बजती है ।
वह जेब से मोबाइल निकाल कर हेलो बोलता है । तभी सामने से भड़कती हुई आवाज आती है-:" कल तक अगर मेरा पैसा नहीं मिला तो तेरे टुकड़े - टुकड़े करके अपने कुत्तों को खिला दूंगा,,, साल भर से मुझको घुमा रहा है,,,, क्या तू भूल गया है तेरा एक अंगूठा मेरी वजह से ही कटा था,,,,"
यह बातें सुनते ही प्रशांत का सारा नशा हवा हो गया उसने अपने बाएं हाथ के अंगूठे की तरफ देखा जो अब उसके हाथ की हथेली पर मौजूद नहीं था पिछले महीने ही उसके अंगूठे को बड़ी ही बेरहमी से काट दिया गया था । वो सबसे ज्यादा राघव से ही डरता था क्योकि राखव ऐसे लोगो में से था जो इंसान के हलक में से ही सांसे निकाल लेवे,,, उधारी का पैसा क्या चीज थी ।
" राघव भाई मुझे थोड़ा वक्त दो,,, मैं आपके सारे पैसे लौटा दूंगा,,,," प्रशांत ने लड़खड़ाती जुबान से कहा ।
" कोई वक्त नहीं मिलेगा,,,, कल के कल मुझे मेरा पैसा चाहिए और अगर पैसा नहीं है तो मुझे इस शहर में दिखाई मत देना या तो जमीन खोदकर उसके अंदर दफन हो जाना या फिर आसमान फाडकर उसके अंदर छुप जाना लेकिन मेरे सामने मत आना समझा,,,,,"
सामने से धमकी भरे लहजे में इतना कहा गया और कॉल कट हो गया ।
प्रशांत ने मोबाइल स्क्रीन की तरफ देखा और राघव को गाली देते हुए कहा-:" साला क****,,,, एक बार इसका सारा कर्जा उतार दूं फिर इसे बताऊंगा,,,,, साले में मेरा उंगूठा काटा था इसकी गर्दन काटुंगा मैं,,,,, पर इतना पैसा आएगा कहां से आज तो रात में भी चैन की नींद नहीं आएगी,,,, रानी भी एक हफ्ते से पिछला हिसाब मांग रही है,,, एक वही तो है मुझे मेरी सारी थकान को दूर कर देती है,,,,,,,"
वह एक नंबर का अय्याश आदमी था उसे शरीर की भूख और शराब की इस तरह तलब थी कि वह कुछ भी कर सकता था ।
इस वक्त चलते - चलते एक सुनसान सडक पर कुछ दूरी पर पहुंच गया उसने देखा कि सामने एक श्मशान में कुछ अघोरी शायद तांत्रिक क्रियाएं कर रहे हैं ।
वो बिना कुछ सोचे - समझे उस और चल दिया । उसे पता था कि अघोरियों को इस तरह की साधना के समय परेशान नहीं करना चाहिए पर वह इस बात को जानना चाहता था कि आखिर यह अघोरी रात भर यहां किसकी साधना करते थे,, वो लगभग पिछले दस दिनो से वहां मंत्र उच्चारणो की आवाजे सुन रहा था य
उसने कई बार उन अघोरियो को देखा था पर वह आखिर किसकी साधना करते हैं यह बात उसे नहीं पता थी ।
उसने अपनी नींद भरी आंखों से काफी देर तक उन्हें देखता रहा उसे नींद आने ही वाली थी कि उसके कानों में कुछ आवाजें आने लगी उसने आंखें खोलकर देखा तो वह हैरान था ।
सामने एक औरत……. बेहद खूबसूरत औरत खड़ी थी वह कौन थी उसे नहीं पता था पर उसकी सुंदरता उसे मदहोश कर रही थी उसकी आंखें चौंधीया गई वह औरत पूरी तरह नग्न अवस्था में थी…..
गोरा रंग, लम्बा कद, पतला शरीर और कोई नागिन बल खाती हुई जैसी उसकी कमर…….! उसके लम्बे घने बाल या यूँ कहिये जैसे रेशम की डोर हो ,,,, जो एक बार किसी को देख ले तो दीवाना बना दे उसे अपना बनाना हर किसी का मन करे उसकी नीली गहरी आँखों में खो जाने का! होठ ऐसे कि गुलाब की पंखुड़ियों को भी हार माननी पड़े उसकी खुबसूरती के आगे…….. !!
प्रशांत की आंखें जैसे उसकी खूबसूरती से ही चमक उठी है वह उसके रूप को बस देखता ही रहा ।
वह अघोरी पिछले 11 दिन से उस कर्ण पिशाचिनी को ही सिद्ध कर रहे थे प्रशांत को यह बात नहीं पता थी ।
" कौन,,,,कौन है यह,,,, इसका शरीर मुझे,,,, मुझे दीवाना कर रहा है,,," प्रशांत नें हवस के साथ कहा ।
वह तो उसकी रूप से बिल्कुल पागल हो गया था पर वहां खड़े अघोरी बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रहे थे उनमें से एक अघोरी उस कर्ण पिशाचिनी से बात कर रहा था । जिसे प्रशांत तो सुन नहीं सकता था और शायद वह सुनने की हालत में भी नहीं था,,,, वह इस वक्त पूरी तरह काम वासना में डूब चुका था ।
कुछ ही दिनों में प्रशांत ने पता लगा लिया कि वह अघोरी जिसकी साधना कर रहे थे वह कोई कर्ण पिशाचिनी थी,,,,, उसकी खूबसूरती में हो इस तरह पागल हो गया था कि बस वो उसे पाना चाहता था उसने कई किताबें सोशल मीडिया और ना जाने कहां-कहां से हर एक जानकारी कर्ण पिशाचिनी के बारे में पता लगाइए और जैसे-जैसे उसके बारे में उसे पता चलता गया उसका लालच बढ़ता ही गया……
उसने अपना मोबाइल नंबर भी बदल कर लिया था और घर पर भी नही रहता था,,, वो राघव के लिये एक तरह से शहर से गायब ही हो गया था,,, ताकि राघव उसे कुछ दिनों तक परेशान ना करें और अब वह उस कर्ण पिशाचिनी को सिद्ध करने के लिए साधना करने जाने वाला था ।
रात के समय वह एक जंगल में एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया जहां पर उसने एक बड़ा सा भैरवी चक्र बनाया घी और तेल का दिया जला कर उस गहरे में बैठ गया ।
उसके दिमाग में अपनी सारी इच्छाएं बार-बार आ रही थी उसे पता था कि एक बार उससे कर्ण पिशाचिनी सिद्ध हो गई तो उसकी सारी ख्वाहिशें पूरी हो जाएंगी,,,, धन दौलत की उसके पास कोई कमी नहीं रहेगी और इसके अलावा को भविष्य वर्तमान भूतकाल सब देख सकता है भोग - वासना वह तो उसे कर्ण पिशाचिनी के साथ ही मिलने वाला था ।
वो हर दिन कर्ण पिशाचिनी की साधना करता रात भर सुनसान जंगल में अकेला बैठा,,, वह जोर-जोर से पिशाचनी को सिद्ध करने के लिए मंत्रों का जाप करता था ।
करीब ग्यारह दिन तक उसनें साधना की पर उसें पिशाचनी के होने का कोई सबूत नही मिला,,,,, वो बस इस बात से परेशान था कि आखिर उसनें भी तो पिशाचनी को सिद्ध करने के लिये सारी साधना की तो आखिर आज पिशाचनी क्यो नही आयी ।
वो उस रात दो बजे अपने एक कमरे के मकान में आकर बिस्तर पर लेट गया । उसे नींद तो नहीं आ रही थी क्योंकि आखिर आज उसे पूरे 11 दिन हो गए थे पर फिर भी उसे वह नहीं मिला था जिसके लिए उसने अपनी रातों की नींद खराब कर दी थी ।
वह इन 11 दिनों में बिल्कुल पागलपन की हद तक जा चुका था,,, पिशाचनी को हर दिन अपने खून का भोग लगाना,,, हर दिन एक मुर्गे की बलि देना ।
रात के करीब 3:00 बजे उसे नींद आई वह जैसे ही सोया उसके आधे घंटे बाद ही उसे लगा कि जैसे कोई उसके होठों को चुम रहा है ।
साथ ही उसे महसूस हुआ कि किसी का हाथ उसके सीने पर चल रहा है ।
उसके कान में हल्की सी फुसफुसाहट हुई -:" मैं,,, मैं आ गयी हू प्रशांत,,,,,,!!! मैं आ गयी हू……..!!!!!
जारी है..... आखिर क्या होगा प्रशांत के साथ,, क्या उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाएगी.....????
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