कर्ण पिशाचनी Part-2
कर्ण पिशाचनी…
रात का घना अंधेरा,, साय - साय करके चलती हवा,,,,तेज कुत्तो के भौकने की आवाजे,, चमकादडो की तेज आवाजे,,,, आज अमावस्या थी ।
प्रशांत ग्यारह दिनो से अपनी साधना करके थक चुका था,,, इतनी घोर साधना के बाद भी आज जब उसके सामने पिशाचनी प्रकट नही हुई तो उसे बहुत बुरा लग रहा होता है।
वो अनमने मन से अपने एक कमरे के मकान में आकर बिस्तर पर करवटे बदलते - बदलते न जाने कब सो गया ।
आज रात मौसम का मिजाज भी अचानक बदल गया,,, बाहर तेज हवा चल रही थी,,, जैसें आंधी आने वाला हो और रात को उतनी ही खतरनाक जानवरो की आवाजे माहौल को डरावना ,,, बेहद डरावना बना रही होती है ।
रात के करीब तीन बजे सामने दिवार पर लगी घडी अचानक रुक गयी । प्रशांत जो कि गहरी नींद में सो रहा था उसके कानो में किसी कि फुसफुसाहट की आवाजे आ रही थी ।
उसे लगा जैसे कोई उसके कान के पास कुछ बोल रहा है। उसे अपनी गर्दन पर किसी की गर्म सांसे महसूस हो रही होती है । उसे लगा जैसे किसी नें उसके होंठो को चुम लिया और कोई उसके सीने पर अपने हाथ फेर रहा है ।
वो हल्का सा कसकसाया कि तभी एक मदहोशी से भरी हुई आवाज उसके कानों में आती है-:" उठ जाओ प्रशांत,,,, मैं आ गई हूं,,,, आंखे खोलो,,,, मैं तुम्हारे पास ही हूं,,,,, "
इस आवाज में बेहद मदहोशी थी प्रशांत को लग रहा था जैसे वह कोई सपना देख रहा है उसने अभी तक अपनी आंखें बंद की हुई थी पर जब प्रशांत को यह आवाजे सच में महसुस होती है तो वह अपनी नींद से अलसाई आंखों को खोल कर देखता है वो बिल्कुल हैरान रह जाता है पूरे कमरे में अंधेरा था ।
मगर उसे दिखाई देता है कि उसके शरीर के ऊपर ही कोई और भी हवा में लहरा रहा है । उसकी लाल-लाल आंखें प्रशांत को ही देख रही है ।
प्रशांत डर से चिल्लाने ही वाला था पर उसके हलक से आवाज नहीं निकल रही थी ।
वह अटकती हुई सी आवाज में बोला-" कौ,,,, कौन हो तुम,,,,"
उसकी बात सुनकर एक डरावनी हंसी पूरे कमरे में गूंजने लगी ।
उसके कानों के पास दोबारा हल्की सी आवाज में गर्म सांसे छोड़ते हुए कर्ण पिशाचिनी फुसफुसाई-:" मैं कर्ण पिशाचिनी हूं तुम्हारी सारी इच्छाएं पूरी करने आई हूं,,,, तुमने ही मुझे बुलाया था क्या तुम मुझे भूल गए हो प्रशांत,,,,," वो दोबारा हंस दी ।
कर्ण पिशाचिनी सुनते ही उसके चेहरे का डर अब खुशी में बदल गया ।
प्रशांत खुश होकर बोला -:" कर्ण पिशाचनी,,,,, "
" हां प्रशांत " कर्ण पिशाचनी हंसते हुए बोली ।
प्रशांत के रूम में काफी मोमबत्तियां जल उठी और अब रुम रोशन हो गया था,,,, प्रशांत नें देखा कि उसके सामने एक बेहद खुबसूरत औरत खडी है,,,, जिसके लम्बें बाल,,,, शरीर पर कोई वस्त्र नही थे,,,, नीली गहरी आंखे,, बला की खुबसूरत थी वो,,, पर उतनी ही खतरनाक उसकि मुस्कान…..
प्रशांत तो उसको देखते ही पागल हो गया था । ऐसा लग रहा था कि उस कर्ण पिशाचनी के शरीर नें उसे हिपनोटाइज कर दिया है ।
" बोलो क्या चाहियें तुम्हें प्रशांत,,,, " वो उसकी तरफ देखते हुए बोली
" मुझे तुम चाहिये,,,,,,,, तुम बहुत खुबसूरत हो,,,, " वो पागलपन के साथ बोला ।
" हां मैं तो तुम्हारी ही हुं,,, दो सौ साल तक,,,,, !!!! पिशाचनी के चेहरे पर बेहद रहस्यमयी भाव थे ।
" सच में,,, " प्रशांत नें हैरानगी के साथ कहा ।
उसे इस वक्त उस पिशाचनी की बाते बहुत अच्छी लग रही होती है ।
" हां प्रशांत सच,,, और आज के बाद तुम किसी लडकी को नही छू सकते हो,,,, आज के बाद तुम्हे हर रात मेरे साथ बितानी होगी,,,, तुम मृत्यु के बाद भी मेरे साथ ही रहोगे,,,,, तुम्हें मुझे हरपल खुश रखना होगा,,,,, चाहें तुम्हारी इच्छो हो या ना हो,,, तुम्हें मेरे साथ हर साथ संभोग करना होगा,,,, और किसी ओर लडकी के बारे में अपने दिमाग में कोई विचार भी नही आने देना वरना,,, उसकी मौत के जिम्मेदार तुम होगे,,,,,, सिर्फ तुम,,,,!!! उसनें प्रशांत को चेतावनी गेते हुए कहा ।
" हम्म,,, ठीक है तुम जो कह रही हो मैं वो सब कुछ मानने को तैयार हूं,,,,," प्रशांत नें खोये हुए अंदाज में कहा ।
उसके दिमाग पर उसका नियंत्रण बिल्कुल नही था ।
" ठीक है फिर तुम्हारी सारी इच्छाओ की मैं पूर्ति करूंगी,,,,, " कर्ण पिशाचनी नें डरावनी आवाज में हंसते हुए कहा ।
पिशाचनी मुस्कुराते हुए प्रशांत के पास आयी उसके होंठो पर होंठ रख दिये । प्रशांत भी उसके स्पर्श में जैेसे खो गया ।
अब हर रात के साथ प्रशांत की किस्मत के तारे चमकते ही जा रहे थे देखते ही देखते वह बहुत अमीर इंसान बन गया था और उसके पास आप किसी चीज की कमी नहीं थी जब उसके परिवार वालों को पता चला कि प्रशांत अब बहुत ज्यादा अमीर हो गया है तो उन लोगों ने प्रशांत से बात करने की कोशिश की पर अब देखते ही देखते प्रशांत को अपने पैसे रुतबे सभी पर बहुत घमंड हो गया था ।
इसलिए उसने अपने परिवार को बेइज्जत करके अपने घर से निकाल दिया था,,,, पर प्रशांत के भाई को यह बात पसंद नहीं आई थी प्रशांत का भाई उससे बेहद नफरत करता था क्योंकि उसकी वजह से उसका काफी पैसा पानी की तरह बह गया था प्रशांत ने अपने भाई शुभम को काफी कर्जे में डूबा दिया था जिसको चुकाते चुकाते वह हद से ज्यादा परेशान हो चुका था और अब यह चाहता था कि प्रशांत वह सारा कर्जा चुका दे लेकिन प्रशांत ने जब उसकी मदद करने से मना कर दिया तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा ।
" प्रशांत तुम्हें की कीमत चुकानी पड़ेगी तुम्हारी वजह से मैंने हमेशा ही कई परेशानियां झेली है पर अब नहीं,,,"
शुभम ने उस दिन जाते हुए प्रशांत को धमकी दी थी पर प्रशांत को उसकी धमकियों से जरा भी डर नहीं लगता था क्योंकि वह जानता था कि अब दुनिया की कोई भी ताकत उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती है क्योंकि उसके साथ कर्ण पिशाचिनी है ।
उसे अब किसी चीज की जरूरत थी भी नहीं उसकी अय्याशी भरी जिंदगी बहुत अच्छे से चल रही थी ।
एक शाम प्रशांत को अपने दोस्त कुंदन का कॉल आता है कुंदन उसका काफी पुराना दोस्त था और आज काफी वक्त बाद उसका प्रशांत से संपर्क हुआ था ।
प्रशांत को कुंदन अपनी एक बार में नाइट पार्टी के लिए बुलाता है पहले तो प्रशांत मना कर देता है लेकिन फिर प्रशांत यह कहकर मान जाता है कि वह रात में 12:00 बजे तक ही पार्टी में रहेगा इसके बाद नहीं ।
पिशाचिनी वैसे तो प्रशांत के आसपास रात के वक्त ही रहती थी पर फिर भी अपनी जादुई शक्तियों से प्रशांत पर बराबर नजर रखती थी ।
उसे प्रशांत के दोस्तों से कोई भी परेशानी नहीं थी परेशानी थी तो बस किसी और लड़की के उसके करीब आने से और प्रशांत जबसे पिशाचिनी से मिला था उसके बाद तो उसने रानी या किसी और लड़की से मिलना ही बंद कर दिया था ।
प्रशांत रात के 9:00 बजे अपने दोस्त कुंदन के शराब के बार में पहुंचा । दोनों दोस्त काउंटर पर बैठे आपस में गप्पे लड़ाते हुए बातें कर रहे थे तभी प्रशांत को लगा जैसे कोई उसकी पीठ से आकर चिपक गया है किसी ने उसे पीछे से गले लगा लिया है प्रशांत ने तुरंत ही झटके से खुद को उससे दूर किया और पीछे पलट कर देखा तो सामने रानी खड़ी थी
प्रशांत ने हैरान होते हुए कहा-: " रानी तुम,,,,"
" क्या रे तू मुझको भूल गया,,,, माना कि तू बड़ा आदमी बन गया है पर यह मत भूल मैंने भी तुझको फोकट में खूब सेवा दी है,," रानी ने थोड़ा गुस्से से कहा ।
प्रशांत ने कोई जवाब नहीं दिया वह हटकर वहां से जाने लगा तो रानी ने उसे अपने करीब खींचते हुए उससे कहा-: " मैं तेरे को बहुत मिस कर रही थी,,,,,,!!! चल आज मेरा मूड है,,, बहुत दिन हो गए तुझसे वैसे मुलाकात नहीं हो पाई है,,,,"
प्रशांत ने देखा जब रानी उसके ज्यादा ही क्लोज हो रही है तो उसने रानी को समझाते हुए कहा-:" रानी मुझसे दूर रहे मुझे इस तरह पसंद अब लड़कियों का अपने पास आना पसंद नहीं है,,,,"
रानी गुस्से से-:" क्या बे ज्यादा ही चर्बी चढ़ गई है तेरे को,,,,,??? पहले तो मेरे पीछे पागल हुआ रहता था और अब जब मैं घास डाल रही हूं तो मुझे देख रहा नहीं है,,,,,?
रानी ने गुस्से से कहा तो कुंदन ने प्रशांत को समझाते हुए कहा-:" अरे प्रशांत तू भी क्या भाव खा रहा है यह आज भी मेरे बार की सबसे फेमस लड़की है रानी है,,,, रानी सबके दिलों की और तू इसको इग्नोर मार रहा है,,,,,"
प्रशांत ने कुछ बोलना चाहा तो कुंदन ने उसे रोकते हुए कहा-:" अबे क्या बहाना बना रहा है बे,,,, जा ना,,, !!!
प्रशांत ने कुंदन की बात सुनी तो वह मुस्कुरा दिया,,,, उसने रानी को ऊपर से नीचे तक देखा सच में वह काफी खूबसूरत थी वह भूल गया था कि कर्ण पिशाचिनी किसी और लड़की को उसके करीब नहीं देख सकती हैं ।
उसने कर्ण पिशाचिनी के आने के बाद किसी लड़की की तरफ देखा भी नहीं था इसलिए उसे नहीं पता था कि आज रानी के करीब आना उसे बहुत भारी पड़ने वाला है ।
रानी, प्रशांत को लेकर एक रूम में पहुंची रूम किसी फाइव स्टार होटल के कमरे जैसा था । प्रशांत अब काफी अमीर हो चुका था इसलिए उसके लिए यह ठाठ बाट आम बात थी ।
" तू बहुत टाइम खोटी करता है मैं बुला रही थी तब तू आया नहीं तेरे दोस्त ने बोला तो तू मान गया,,,!!! रानी ने इतना कहा और झट से उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी ।
प्रशांत भी उसके बालों पर हाथ फेरते हुए उसके चेहरे को चुमने के लिए जैसे ही झुकता है अचानक ही रूम की सारी लाइट्स एक-एक करके टूटने लगती है रूम की खिड़की जोकि कांच की थी अचानक ही एक तेज आवाज के साथ चटक जाती है । यह सब होने के बाद रानी और प्रशांत दोनों ही डर जाते हैं यह सब इतनी जल्दी में हुआ था कि दोनों को कुछ समझने का मौका ही नहीं मिलता ।
रानी अटकते हुए कहती है-:" प्र,,,, प्रशांत यह सब क्या हो रहा
वह इतना ही कह पाती है कि अचानक कांच का एक टुकड़ा उड़कर अंधेरे में रानी के चेहरे पर आकर लगता है और वह जोर से चिल्ला पड़ती है ।
" तू मेरे प्रशांत के करीब आएगी,,, तेरी हिम्मत कैसे हुई उसे छूने की,,,," एक बेहद डरावनी आवाज पूरे माहौल में गूंज उठी ।
प्रशांत आवाज सुनते ही समझ गया कि यह कोई और नहीं बल्कि कर्ण पिशाचिनी है ।
" बोल,,,, बोल तेरी हिम्मत कैसे हुई प्रशांत के करीब आने की,,,," कर्ण पिशाचिनी ने चिल्लाते हुए कहा और रानी कुछ समझ पाती इससे पहले ही कर्ण पिशाचिनी उसे हवा में उठाकर सामने दीवार पर जोर से मारती है उसके शरीर की सारी हड्डियां जैसे चटक कर टूट गई हो ।
नाक में से खून बहने लगता है और उसका सिर खून से लथपथ हो जाता है ।
अचानक पूरे रूम में वापस लाइट जलती है और प्रशांत की नजर सामने दीवार पर जाती है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं ।
कर्ण पिशाचनी नें रानी के शरीर पर काफी सारे घाव कर दिए थे और वह उसके सीने में लगातार चाकू मारते हुए उसे हवा में लटकाए हुए थे,,, रानी का पूरा शरीर खून से लथपथ हो गया था । उसनें दूसरे हाथ से रानी की गर्दन को पकडकर दिवार से चिपका दिया था
रानी,, प्रशांत कि तरफ देखकर दर्द भरी आवाज से-:" प, प, प, प, प्रशांत,,,, बचाओ,,,,!!!!
यह नजारा इतना भयानक था कि प्रशांत के चेहरे पर पसीना लगातार बह रहा था और हाथ पैर कांपने लगे थे । कोई किसी को इतनी भयानक तरीके से कैसे मार सकता है,,,, पर शायद वह भूल गया था कि जिसके साथ में इतने दिनों से रह रहा है वह कोई इंसान नहीं है बल्कि एक चलती फिरती जिंदा लाश है,,,, जिसमें दया नाम की कोई भी चीज नहीं है
प्रशांत,,, कर्ण पिशाचिनी की तरफ देखते हुए डर कर बोला -:" प्लीज,,,, प्लीज छोड़ दो इसे,,, "
कर्ण पिशाचनी नें जब देखा कि प्रशांत उसके सामने किसी और के करीब आया और अब उसे छोड़ने को बोल रहा है तो उसका गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया उसने रानी के हाथों को हवा में ही उल्टा करके मरोड़ दिया और उसकी गर्दन को अचानक झटके के साथ घुमा दिया यह सब इतनी जल्दी में हुआ कि प्रशांत के होश ही उड़ गए । कितना डरावना था यह…….
वो चीख पडा -:" आह,,,,!!! नही,,,, "
कर्ण पिशाचनी नें रानी का लाश को हवा में ही लटका छोड दिया और प्रशांत के कान के पास आकर फुसफुसाते हुए बोली-:" तुम्हें मेरे अलावा किसी के करीब जाने की इजाजत नही है,,, किसी के भी नही,,, प्रशांत,,, तुम्हारे शरीर पर मेरा हक है,, और तुम अपने दिए गए वचनों को नहीं भूल सकते,,, "
प्रशांत के शरीर नें जैसे उसका साथ छोड दिया वो कांपते खडा खडा बस डर से कांप रहा था उसकी आंखे हवा में लहरा रही रानी की लाश को देख रही होती है,,,,, वही कर्ण पिशाचनी की गर्म सांसो को इस वक्त वो अपने चेहरे पर महसूस कर पा रहा था,,,,!!!
जारी है…… आगे प्रशांत के साथ क्या होगा जानने के लिये पढते रहिये,,,, 🌈
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