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प्रेम दर्पण है

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प्रेम दर्पण है,,  जिसमें मैं जब - जब स्वयं को देखती हूं,,, तो तुम्हारा अक्श उभर जाता है,,,, जो कि बताता है कि मेरे अन्दर मुझसे ज्यादा अब तुम हो,,, तुम्हारा और मेरा अब कुछ अलग नही है,,,, तुम मेरे मन से मेरे तन तक अपना अधिकार रखते हो,,, और मैं भी जानती हूं कि तुम सिर्फ मेरे हो,,, तुम्हारे साथ मैं अपनी परेशानियो को भूलकर,, खिलखिलाती हूं किसी नादान बच्चे की तरह,,,, तुम्हारे सामने मुझे समझदार बनने की जरूरत नही होती,,, क्योकि तुम भी मेरे साथ बच्चे बन जाते हो,,, तुम्हारे प्रेम को हर पल अपने साथ महसूस करना,,, यह मेरे लिये प्रेम की परिभाषा की तरह है,,,, तुम्हारा होकर रह जाना,,, मुझे सम्पूर्ण करता है,,, तुम्हारे नाम से साथ अपना नाम जोड लेना,,, मेरी रूह को रंगीलापन देता है,,,, तुम्हारे एहसासो का मुझे छूकर जाना,,, मेरे शरीर में ठण्डी सिहरन सा पैदा करता है,,,, हाथो की लकीरो से जुदा होकर भी,,, मेरे प्रेमपूरित ह्रदय पर तुम्हारी छवि का उभर आना,,, एक प्रेम का ही तो संकेत है,,, कि मैं सिर्फ तुम्हारी हो चुकी हूं,,,,, " 

" जिद्दी मोहब्बत " Short Love story

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 यह कैसी परेशानी में फंसा दिया था उसके परिवार और मंगेतर नें उसे…… उसकी शादी का रिश्ता टूट गया है । गलती भी तो उसकी ही थी….. शादी को टालते - टालते पांच साल हो,,,, और अब तो सब उससे परेशान थे और लडकी वालो नें अब शादी तोड दी थी,,, वो कब तक अपनी लडकी को एक ऐसे इंसान के भरोसे रखते जिसका शादी का मन था भी या नही किसी को नही पता था  ।  उसकी सगाई भी उसके परिवार वालों ने ही करवाई थी पर वह अब राधा को पसंद भी करने लगा था और राधा भी उसे पसंद करती थी पर वह शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसने जो धोखा खाया था उसे वह नहीं भुला सकता था और अभी तो उसकी कोई जॉब भी नहीं थी,,,, अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की वजह से कोई अच्छी जॉब मिल ही नहीं पा रही थी तो किसी की जिम्मेदारी कैसे उठाता जितना वह कमाता था उससे सिर्फ उसके घर का ही खर्चा चलता था और ससुराल वाले तो यह कहकर भी अपनी बेटी को विदा करने के लिए राजी थे कि तुम्हारे खेत - खलियान को संभाल लेगी और किस बात के लिए पैसे की जरूरत है सब कुछ घर में ही तो है जो तुम कमाते हो उससे गुजारा चली जाएगा पर वह क्या जानते थे कि कार्तिक के ऊपर सिर्फ खुद की नहीं पूरे परिवार की जिम

कर्ण पिशाचनी Part-2

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 कर्ण पिशाचनी… रात का घना अंधेरा,, साय - साय करके चलती हवा,,,,तेज कुत्तो के भौकने की आवाजे,, चमकादडो की तेज आवाजे,,,, आज अमावस्या थी ।  प्रशांत ग्यारह दिनो से अपनी साधना करके थक चुका था,,, इतनी घोर साधना के बाद भी आज जब उसके सामने पिशाचनी प्रकट नही हुई तो उसे बहुत बुरा लग रहा होता है। वो अनमने मन से अपने एक कमरे के मकान में आकर बिस्तर पर करवटे बदलते - बदलते न जाने कब सो गया  । आज रात मौसम का मिजाज भी अचानक बदल गया,,, बाहर तेज हवा चल रही थी,,, जैसें आंधी आने वाला हो और रात को उतनी ही खतरनाक जानवरो की आवाजे माहौल को डरावना ,,, बेहद डरावना बना रही होती है ।  रात के करीब तीन बजे सामने दिवार पर लगी घडी अचानक रुक गयी । प्रशांत जो कि गहरी नींद में सो रहा था उसके कानो में किसी कि फुसफुसाहट की आवाजे आ रही थी ।  उसे लगा जैसे कोई उसके कान के पास कुछ बोल रहा है। उसे अपनी गर्दन पर किसी की गर्म सांसे महसूस हो रही होती है ।  उसे लगा जैसे किसी नें उसके होंठो को चुम लिया और कोई उसके सीने पर अपने हाथ फेर रहा है ।  वो हल्का सा कसकसाया कि तभी एक मदहोशी से भरी हुई आवाज उसके कानों में आती है-:"  उठ जाओ

कर्ण पिशाचनी ( हॉरर स्टोरीज ) part -1

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पिशाच या पिशाचनी वह लोग होते है जो जीवीत रहते हुए अपने जीवन में काफी गलत कार्य करते है,,, और पिशाचनिया वह औरते होती है जो जीवन भर किसी के बस में नही रहते वही मृत्यु के बाद किसी के बस में नही आने वाली पिशाचनिया बन जाती है…… यदि इन पिशाच या पिशाचनिय को साधना के द्वारा वश में कर लिया जाए तो अत्यधिक फायदा भी हो सकता है परन्तु यदि यह वश में नही आ पाए तो आपकी मौत का कारण भी बन जाते है । इनको साधने के लिये हद तक जूनून या पागलपन में जाकर ही साधना करनी पडती है । तभी यह आपके वश में आ सकती है । यह स्त्री या पुरूष के देह में प्रवेश करके उनसे अपना मनचाहा कार्य करवा लेती है ।  इनके प्रभाव से शरीर कमजोर और शक्तिहीन हो जाता है,, मानसिक बिमारियां हो जाती है और यह पिशाचनियां व्यक्ति के मरने के बाद उसे अपने साथ ले जाती है ।  यह सदैव पेडो के ऊपर ही रहती है इसलिये किसी पेड के नीचे मल / मूत्र का त्याग नही करना चाहिये……  यह पिशाचनिया इंसानी रक्त और मांस का भोजन करती है ।  पिशाचनियो को सिद्ध करने में सिर्फ एक महिने का वक्त लगता है ।  यह डायन / चुडैलो / भूत - प्रेतो सभी से अलग होती है । आज मैं जिस