" जिद्दी मोहब्बत " Short Love story
गलती भी तो उसकी ही थी….. शादी को टालते - टालते पांच साल हो,,,, और अब तो सब उससे परेशान थे और लडकी वालो नें अब शादी तोड दी थी,,, वो कब तक अपनी लडकी को एक ऐसे इंसान के भरोसे रखते जिसका शादी का मन था भी या नही किसी को नही पता था ।
उसकी सगाई भी उसके परिवार वालों ने ही करवाई थी पर वह अब राधा को पसंद भी करने लगा था और राधा भी उसे पसंद करती थी पर वह शादी नहीं करना चाहता था क्योंकि उसने जो धोखा खाया था उसे वह नहीं भुला सकता था और अभी तो उसकी कोई जॉब भी नहीं थी,,,, अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की वजह से कोई अच्छी जॉब मिल ही नहीं पा रही थी तो किसी की जिम्मेदारी कैसे उठाता जितना वह कमाता था उससे सिर्फ उसके घर का ही खर्चा चलता था और ससुराल वाले तो यह कहकर भी अपनी बेटी को विदा करने के लिए राजी थे कि तुम्हारे खेत - खलियान को संभाल लेगी और किस बात के लिए पैसे की जरूरत है सब कुछ घर में ही तो है जो तुम कमाते हो उससे गुजारा चली जाएगा पर वह क्या जानते थे कि कार्तिक के ऊपर सिर्फ खुद की नहीं पूरे परिवार की जिम्मेदारी है अपने छोटे भाई की भी शादी करवाई ही थी जिसका कर्जा बहुत ज्यादा था जो वही चुका रहा था और घर का लोन भी उसके सिर पर ही था जो उसे चुकाना था,,, उसने अपना घर बनाने के लिए भी काफी पैसे लिए थे,,,, कर्ज के बोझ के तले दबा हुआ कार्तिक,,, कहां अपनी जिंदगी के बारे में सोच सकता था,,, पर राधा के परिवार वाले इस बात को कहां समझ सकते थे । वो लोग गींव के इलाके से थे और इतने ज्यादा एजुकेटेड भी नहीं थे राधा ने भी 9th तक पढ़ाई की थी उसके बाद वह भी घर गृहस्थी संभालने लगी थी ,,, जब उसने पढ़ाई छोड़ी तब उसकी सगाई कार्तिक के साथ कर दी गई थी और पिछले 5 साल से कार्तिक का इंतजार ही कर रही थी कि आज नहीं तो कल कार्तिक उसे ब्याह कर ले ही जाएगा राधा के घर वाले भी इसी आस में थे ।
लेकिन अब पानी सर से ऊपर जा चुका था लड़की जवान हो चुकी थी,,,कब तक घर पर बैठा कर उसे खिलाया - पिलाया जाएगा,,,,, आखिर थी तो वह पराया धन ही उसे शादी करके अपने घर जाना था एक लड़की हमेशा से ही अपने परिवार के लिए बोझ ही होती है और गांव के इलाकों में तो इस बात को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है ।
" कार्तिक मैं तुम्हारे अलावा किसी से शादी नहीं करूंगी अगर तुमने मुझसे शादी नहीं की तो मैं अपनी जान दे दूंगी,,,,, मैंने तुमसे सगाई की है और जब से तुम्हारे साथ में जुड़ी हूं मैंने तुम्हें ही अपना पति माना है किसी और के बारे में मैं कभी नहीं सोच सकती,,,, मेरे लिए हमेशा से तुम ही मेरे पति हो,,,,, अगर मेरी जिंदगी में तुम्हारे अलावा कोई जबरदस्ती लाया गया तो सबसे पहले मैं अपनी जिंदगी खत्म कर दूंगी अब फैसला तुम्हारे हाथ में है तुम मुझसे शादी करने आ रहे हो या फिर मेरी मृत्यु भोज पर खाना खाने,,,,,फैसला तुम्हारे हाथ में है तुम्हारी राधा,,,," कार्तिक ने अपने हाथ में पकड़ी हुई यह चंद लाइनों की चिट्ठी पढी,,,,,
वह बेहद परेशान था यह कहानी साल 2012 की है तब तक मोबाइल फोन का इतना प्रचलन नहीं था और गांव में तो मोबाइल फोन शायद बहुत कम लोगों के पास ही होते थे दूरदराज में नेटवर्क टावर कहां होते हैं और गांव के लोगों को मोबाइल के बारे में उस वक्त ज्यादा पता भी नहीं था
कार्तिक के पास राधा की चिट्ठी आई थी,,,, ,,, वो चिट्ठी को हाथ में पकड़ रहा था,,, राधा कैसे यह सब कह सकती हैं अपनी जान लेना किसी समस्या का हल तो नहीं होता और यह किस दुविधा में फंसा दिया है उसने उससे शादी कैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वह जानता था कि राधा एक बार जो बात कहती है उस बात पर अडिग रहती है बेहद जिद्दी स्वभाव की लड़की थी वह जो उसे चाहिए था वह उसे चाहिए था और जो वह कहती वही करती अगर उसने कहा था कि वह किसी और से शादी नहीं करेगी तो सवाल ही पैदा नहीं होता किसी और के बारे में सोचने का भी ।
जिस तरह से मीरा के मन में कृष्ण की छवि अंकित कर देने मात्र से ही मीरा कृष्ण को अपना पति मान बैठी थी उसी प्रकार राधा भी कार्तिक को ही अपना जीवनसाथी मान चुकी थी ।
राधा कार्तिक के अलावा किसी और के बारे में सोचना भी उसके लिए पाप था वैसे राधा और कार्तिक बचपन के ही दोस्त थे जहां कार्तिक एक समझदार लड़का था वही राधा बिल्कुल बच्चों सी मासूम उसे समझ नहीं थी किसी भी बात की , उसे बस इतना पता था कि उसे अपने मन की करनी है वही मन की करने वाला तो कार्तिक भी था पर उसमें जिद्दी पना नहीं था,, ना ही वह बात बात पर गुस्सा होता वो किसी भी बात पर रिएक्शन बहुत कम करता था ।
वहीं दूसरी तरफ राधा अपने कमरे में बंद बैठी थी अपने कपड़ों को जबरदस्ती अलमारी में ठुसते हुए वह गुस्सा निकाल रही थी , वही रूम में बेड पर उसकी दोस्ती बैठी थी ।
" इस तरह कपडे फेंकने से क्या होगा,,,, शादी तो तेरी तय हो चुकी है,,,, अब तू भूल जा कार्तिक को,,,, वो नही आने वाला,,,,,, सगाई तोड दी है तेरे परिवार नें,,, " उसकी दोस्त रीना बोली ।
राधा -:" मैने तो नही तोडी है ना सगाई,,, मेरे परिवार को उससे सगाई नही करनी है मुझे करनी है,,, और मैं कार्तिक से बहुत प्यार करती हूं,,, मर जाऊंगी लेकिन किसी ओर से शादी नही करूंगी,,,,, "
रीना -:" पागल हो गयी है तू,,,, वो कार्तिक वैसे भी मुझे नही पसन्द,,,,, पांच साल से तुझे घुमा रहा है,,, एक साल करते करते पांच साल निकाल दिये उसनें,,,,, पर अभी तक बारात लोकर तेरी चौखट पर नही आया,,, मुझे नही लगता वो तुझसे कभी शादी करेगा,,, तो उसे भूल और निखिल से शादी कर ले,,,, "
राधा-:" मौत ना आ जाये मुझे किसी ओर से शादी कर लूं तो,,,,!!!
रीना,,, राधा का व्यंग्य भरा जवाब और उसकी गुस्से से घूरती नजरो को देखकर अपना कंधा बेफ्रिकी से उठा देती है ।
कुछ दिन ऐसे ही बात जाते है,,, 28 April 2015 सुबह का समय राधा अपने खेत पर जा रही थी,, घर पर मेहमान थे,,, आज उसकी शादी थी पर उसका मन ही नही था,,घर पर रहने का,, आज उसका सब्र जवाब दे गया था उसमें कार्तिक को जो चिट्ठी भेजी थी उसका तो कोई जवाब ही नहीं आया था उसे लगा कि कार्तिक नहीं आने वाला है तो वह जिगर भी क्या करेगी उसके खेत में ही है कुआं था उसने सोच लिया था कि आज वो उस कुएं को है मैं गिर कर अपनी जान दे देगी ।
घर पर सबसे छिपते - छुपाते वो खेत में पहुची,,, खेत काफी हरा भरा था,, सुबह का हल्का अंधेरा और आसमान में सूरज के किरणो की लालिमा दिखाई दे रही थी ।
राधा रोते हुए खुद से -:" कार्तिक,, अगर तुम नही तो कोई नही,,, मैं उस आदमी से शादी कभा नही करूंगी,,,, आज तुम्हारे प्यार को लिये ही अपनी जान देने जा रही हू,,, तुम मुझसे शादी करने तो नही आए पर मेरी लाश देखने जरूर आ जाना,,, मेरी मौत की खबर तुमको मिल ही जाएगी,,,, "
वो खुद से ही बोलते हुए चलती जा रही होती है कि उसे महसूस होता है कोई उसके पीछे चल रहा है ।
वो पीछे पलटकर तो नही देखती पर उसके कानो में कदमो की आवाजे तेज तेज आने लगती है तो वो अपने कदमो की गति बढा देती है ।
राधा नें जैसे ही अपने कदमों की गति बढ़ाई वैसे ही पीछे आ रहे शख्स की कदमों की गति भी बढ़ जाती है अब राधा उसको थोड़ा सा डर लगने लगता है क्योंकि इस वक्त खेत में कोई दिखाई भी नहीं दे रहा था ।
राधा अब वहां से भागने की तैयारी में ही थी कि तभी पीछे से आवाज आई ।
" राधा रूको,,,,,!!!!
यह आवाज सुनते हैं राधा के कदम रुक गए उसने अपने सिर पर डाली हुई चुनरी को अपने चेहरे के आगे कर लिया जैसे वह घुंघट लगा रही हो ।
" कार्तिक,,," वह अपने में ही बुदबुदाई ।
" राधा,,,, !! दोबारा आवाज राधा के कानो में पडी ।
इस बात को पलट कर देखती है तो सामने कार्तिक खड़ा था कार्तिक को देखते ही राधा के दिल को जैसे तसल्ली मिलती है उसे विश्वास नहीं था कि कार्तिक आएगा पर कार्तिक उसके सामने था उसकी प्रेम से प्यारी आंखें आंसुओं से सरोवर हो गई वह नम आंखों से कार्तिक को देखने लगी कार्तिक भी उसे एकटक देख रहा था दोनों के ही मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था दोनों के शब्द भले ही खामोश हो लेकिन आंखें आंखें दूसरे से बातें कर रही थी न जाने कितने ही सवाल जवाब लिए दोनों एक दूसरे के चेहरे को देखे जा रहे थे कार्तिक ने आगे बढ़कर राधा का हाथ थमा तो राधा कार्तिक से लिपट कर रो पड़ी जोर-जोर से बिलखते हुए वह बोली -:" अब आ रहे हो तुम मुझे तो लगा कि तुम आओगे ही नहीं ना मेरी चिट्ठी का कोई जवाब दिया तुमने और ना ही इतने दिनों में मुझसे कोई बात की आज मेरी शादी थी तुम जानते भी हो मैं इस वक्त बस अपनी जान दे नहीं जाने वाली थी मैंने सोचा नहीं था कि तुम्हारे अलावा किसी और को अपनी जिंदगी में शामिल भी करूंगी मुझे यहां से ले जाओ मुझे यह शादी नहीं करनी है,,,," वो जोर जोर से रोते हुए बोली ।
कार्तिक ने उसकी बात सुनी तो एक गहरी सांस ली वह उसे रोते हुए चांद करवा रहा था लगातार उसके बालों पर अपने हाथ से रहा था और उसकी पीठ भी थपथपाई रहा था राधा कुछ देर में रोते हुए शांत हो गई तो कार्तिक बोला-:" मैं जानता था कि तुम कुछ ऐसी बेवकूफी करोगी और मुझे खुशी है कि मैंने तुम्हारी इस बेवकूफी को पूरा नहीं होने दिया,,,,, चलो अब तुम्हारे घर चलते हैं तुम्हारा हाथ भी तो मांगना है,,,,,, "
राधा कार्तिक से दूर होते हुए बोली -:" अब मेरे घर वापस जाने कि तुम सोचना भी मत क्या तुम्हें पता नहीं है मेरे घरवाले तुमसे इतनी नफरत करने लगे हैं अगर तुम मेरे घर गए तो तुम्हें मार देंगे और मेरी शादी उस निखिल पर करवा देंगे मैं नहीं करना चाहती हूं जो आदमी से शादी मुझे नहीं करनी है मुझे यहां से भगा ले चलो बस,,,, "
कार्तिक उसे समझाते हुए -:" राधा,,,, तुम हर बात पर इतना गुस्सा क्यों करती हो और इतना उल्टा क्यों सोच रही हो मैं जा रहा हूं ना तुम्हारे साथ तुम्हारी शादी मुझसे ही होगी मेरे अलावा तुम्हारी शादी किसी और से हो नहीं सकती,,,, "
राधा चिढते हुए -:" मुझे नहीं जाना,,, मुझे बस अपने साथ अपने गांव लेकर चलो,,,, वरना,,, मैं जा रही हूं कुएं में कुदने,,,,, "
राधा की बात में धमकी साफ दिखाई दे रही होती है । कार्तिक नें उसे समझाने की काफी कोशिश की,,, पर राधा अपनी बात से टस से मस ना हुई ।
आखिर में कार्तिक नें हार मान ली,, उसे राधा से शादी तो करनी ही थी,,, चाहे घरवालो की मर्जी से हो या भागकर क्या फर्क पडता है ।
कार्तिक उस दिन राधा को अपने साथ ले आया । नहीं जब राधा के भाग जाने की खबर पूरे गांव में फैल गई तो राधा के घरवाले कार्तिक की जान के दुश्मन बन गए और यहां तक कि वह कार्तिक के घर आकर काफी हंगामा भी कर कर गए थे यह बात राधा को बहुत बुरी लगी थी । 29 अप्रैल 2015 को कार्तिक नें अपनी ही मंगेतर को भगाकर उसे अपनी पत्नी बना लिया था । राधा और कार्तिक,,,,, एक पवित्र बंधन में बंध चुके थे ।
रात का समय
कार्तिक का रूम…..
राधा दुल्हन के लिबास में सजकर बेड पर बैठी हुई थी,,, कार्तिक उसके सामने बैठा,, उसके चांद जैसे रोशन चेहरे को निहार रहा था ।
राधा,, के गाल शर्म से लाल थे । वही कार्तिक के चेहरे पर भी मुस्कुराहट तैर रही होती है ।
राधा नाक फुलाकर बोली -:" आप मुझे ऐसे क्यो देख रहे है,,,, !!!
कार्तिक मुस्कुराते हुए -:" क्यो,, ऐसे नही तो कैसे देखना चाहिये,,, राधा,,,"
राधा घडी की तरफ देखते हुए -:" मेरा मतलब है कि,,, रात बहुत हो गयी है,,,, हम सोना चाहिये,,, आखिर कब तक जागेगे,,,, !!!
कार्तिक शरारत के साथ कहता है -:" आज कौन सोता है,,,, !!!
राधा नासमझी के साथ बोली -:" तो क्या शादी के बाद रात को जागना होता है,,,,!!!
कार्तिक सोचते हुए बोला -:" हम्म,,, जागना तो होता है,,,, "
राधा मासूमियत से-:" पर क्यो,,,???
कार्तिक हकलाते हुए- " क्योकि,,,, आज हमारी,,,,,!!
कार्तिक को आगे बोलने में शर्म आ रही थी,,, राधा तो इतने भोलेपन से सवाल कर रही थी कि कार्तिक को समझ नही आया कि आखिर वो क्या कहे ।
राधा हल्का सा कार्तिक के चेहरे की तरफ झुककर उसकी गर्दन को अपने नरम होंठो से चुमते हुए बोली -:" क्योकि आज हमारी सुहागरात है,,, पतिदेव,,, इतनी भी भोली नही है आपकी पत्नी जितना आप समझते है,,,,,, "
कार्तिक नें जब राधा की बात सुनी तो अचानक ही उसके चेहरे पर लम्बी मुस्कान फैल गयी । राधा नें कार्तिक के नेक पर किस किया था जहां पर कार्तिक हमेशा राधा के स्पर्श को महसूस करता था,,, जब वो सगाई के बाद पहली बार मिले थे,,, कार्तिक नें उससे यही कहा था कि शादी की पहली रात वो सबसे पहले उसकी नेक पर ही किस करे ।
राधा को कार्तिक की कही बात याद थी यह देखकर कार्तिक की धडकनें बढ गयी थी । राधा नें शरारती नजरो से कार्तिक के चेहरे को देखा । फिर वही बेड के पास रखी मोमबतीयो को फूंक मारकर बुझा दिया ।
समाप्त…………
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